सोमवार, 22 सितंबर 2025

भूलने लगा हूँ

 

 

 मैं मोहब्बत के वादे

भूलने लगा हूँ कुछकुछ 

गर तुम्हें याद रहे हों

तो वही याद करवाने

जाना

 

मैं अपने टुकड़े

जाने कहाँ छोड़ आया हूँ 

गर तुम्हारे पास हों

तो वही लौटाने

जाना।

 

बहाने बहुत हैं

तुमको बुलाने के

पर तुम्हारा बहाना

क्या है आने का

बस वही बताने

एक बार तो बस

जाना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें